ग्यासुद्दीन तुगलक का मकबरा - यह मकबरा मिस्र के पिरामिडों की तरह अन्दर की तरफ झुका हुआ है । इस मकबरे में हिन्दू मंदिर की शैली के अनुसार ऊपरी भाग में आमलक तथा कलश का प्रयोग किया गया है। मकबरे के ऊपरी भाग में संगमरमर का भी प्रयोग किया गया है। इसकी ऊँचाई लगभग 81 फीट है।
जहांपनाह नगर - मोहम्मद बिन तुगलक ने इस नगर का निर्माण सीरी और रायपिथौरा के बीच में करवाया था। मोहम्मद तुगलक ने इसका निर्माण इस प्रकार से कराया था कि बाहरी आक्रमण से यह सुरक्षित रहे इसके चारों तरफ 12 गज मोटी सुरक्षा दीवार बनाई गई थी एवं 13 दरवाजे थे । वर्तमान में यह खण्डहर रूप में है। इसके अवशेषों में सतपुत्र अर्थात सात मेहराबों का पुत्र और विजय मण्डल विद्यमान हैं।
आदिलशाह का किला - मोहम्मद बिन तुगलक द्वारा इस किले का निर्माण तुगलकाबाद के समीप ही करवाया गया था
बारहखंभा - तुगलक कालीन में बनवाई गई यह इमारत सामंत के निवास के लिए प्रयोग की जाती थी। यह इमारत तुगलक कालीन धर्मनिरपेक्ष इमारतों में विशिष्ट है। इसकी प्रमुख विशेषता यहाँ की सुरक्षा एवं गुप्त निवास है।
फिरोजशाह कोटला - फिरोजशाह तुगलक ने दिल्ली में एक नए नगर की स्थापना की जिसमें एक दुर्ग का निर्माण करवाया जिसे फिरोजशाह कोटला कहा जाता है। इसका क्षेत्रफल दिल्ली के शाहजहांबाद से दुगना था । इसके अन्दर भवनों, मस्जिद एवं राजमहलों का निर्माण किया गया । दुर्ग में दो मंजिला इमारत के अवशेष मिले हैं जो संभवतः विद्यालय के लिए प्रयोग होती होगी। फिरोजशाह तुगलक ने इसी दुर्ग में टोपरा से लाया गया एक अशोक स्तंभ को स्थापित करवाया था।
कुश्क - ए - शिकार - फिरोजशाह तुगलक द्वारा निर्मित यह भवन मुख्य रूप से शिकार से संबंधित था सुल्तान इसे शाहनुमा कहता था। इसके सामने ही मेरठ से लाया गया दूसरा अशोक स्तंभ स्थापित करवाया गया था।
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