फिरोजशाह तुगलक का मकबरा - यह वर्गाकार मकबरा संगमरमर और लाल पत्थर से निर्मित है। मकबरे का गुम्बद अष्टकोणीय ड्रम पर निर्मित है। इसका प्रमुख द्वार दक्षिण की तरफ है तथा इसकी मजबूत दीवारों को फूल पत्तियों एवं बेलो से सजाया गया था।
खान - ए - जहां तेलंगानी का मकबरा - अष्टभुजाकार में निर्मित यह मकबरा लाल पत्थर एवं सफेद संगमरमर से बना है। इसे खाने जहां जूनाशाह ने अपने पिता जो फिरोजशाह तुगलक के प्रधानमंत्री थे उनकी स्मृति में बनवाया था। इस मकबरे की तुलना जेरूसलम में निर्मित उमर मस्जिद से की जाती है।
तुगलक कालीन अन्य प्रमुख इमारतों में - खिड़की मस्जिद, काली मस्जिद, बेगमपुरी मस्जिद , कलां मस्जिद एवं कबिरुद्दीन औलिया का मकबरा इत्यादि प्रसिद्ध है।
मुबारक शाह सैय्यद का मकबरा - लाल पत्थरों से निर्मित यह अष्टभुजाकार इमारत मुबारकपुर गांव में स्थित है । इसका निर्माण अलाउद्दीन आलम ने करवाया था। सर जॉन मार्शल के अनुसार - " इस इमारत का मुख्य दोष यह है कि निर्माणकर्ताओ ने इसे इतना ऊंचा बना दिया है कि दर्शक की दृष्टि से ऊँचा है।"
मुबारक शाह का मकबरा - इस अष्टभुजीय मकबरे का निर्माण सामान्य ऊँचाई से किया गया तथा इसकी सजावट के लिए चीनी टाइलों का प्रयोग किया गया।
बहलोल लोदी का मकबरा - इस मकबरे का निर्माण सिकंदर लोदी ने 1418 ई. में करवाया था। लाल पत्थरों से निर्मित इस मकबरे में तीन मेहराब एवं पांच गुम्बद है बीच में स्थित गुम्बद की ऊँचाई सबसे अधिक है।
सिकंदर लोदी का मकबरा - इसका निर्माण इब्राहिम लोदी ने 1517 ई. में करवाया था। इसके गुम्बद के चारों ओर आठ खम्भे बने हुए हैं तथा चारों किनारों पर ऊँचे बुर्ज बने हैं। मुगल शैली के विकास में यह मकबरा प्रेरणा स्रोत रहा है।
मोठ की मस्जिद - सिकंदर लोदी के वजीर मियां भुआ ने इसका निर्माण करवाया था । यह लोदियों की स्थापत्य कला की सबसे सुंदर इमारत है।
लोदी काल में निर्मित बड़े खां तथा छोटे खां का मकबरा का निर्माण सिकंदर लोदी ने करवाया था । लोदी कालीन अन्य इमारतों में मोती मस्जिद, बड़ा गुम्बद , पीली का गुम्बद , शीश गुम्बद एवं ताज खां का गुम्बद आदि प्रसिद्ध हैं। पर्सी ब्राउन ने इस युग को ' मकबरों का युग ' के नाम से संबोधित किया है
बहुत ही खूबसूरत तरीके से आपने विस्तार से जानकारी दिया आपको बहुत बहुत धन्यवाद
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