कुव्वत - उल - इस्लाम मस्जिद - कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा बनवाई गई यह मस्जिद भारत में तुर्क शासक द्वारा बनवाई गई पहली मस्जिद थी। इसका निर्माण 1119 ई. में दिल्ली विजय की स्मृति में दिल्ली के निकट महरौली में कराया था। इसके निर्माण सामग्री में हिन्दू मंदिरों अवशेषों का प्रयोग किया गया था। यह मस्जिद इण्डो - इस्लामिक शैली में निर्मित है जिसमें हिन्दू प्रभाव स्पष्ट रुप से प्रदर्शित होता है। इल्तुतमिस तथा अलाउद्दीन खिलजी ने भी इस मस्जिद का विस्तार किया था।
अढाई दिन का झोपडा - राजस्थान के अजमेर में स्थित यह मस्जिद प्रारंभ में एक संस्कृत विद्यालय था जिसे विग्रहराज ने बनवाया था बाद में जिसे कुतुबुद्दीन ऐबक ने तुड़वाकर मस्जिद में परिवर्तित कर दिया। ऐसी माना जाता है कि इसका निर्माण कार्य ढाई दिन में किया गया था इसलिए इसे अढाई दिन का झोपड़ा कहा जाता है। यहां पर प्रत्येक ढाई वर्षों में एक मेला भी लगता हैं।
कुतुबमीनार - कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा दिल्ली से कुछ दूरी पर महारौली नामक स्थान पर इस मीनार का निर्माण प्रारंभ कराया गया था। कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसका निर्माण शेख ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की याद में शुरू करवाया था। ऐबक इस मीनार की एक मंजिल का निर्माण ही करवा पाया था बाकी का निर्माण इल्तुतमिस ने पूर्ण कराया। फिरोज तुगलक के समय इस पर बिजली गिरने की वजह से उसने चौथी मंजिल तोड़कर वहां दो और मंजिलें बनवा दी । सिकंदर लोदी ने भी कुतुबमीनार की मरम्मत करवाया था। इस मीनार के आधार का व्यास 46 फीट तथा शिखर का व्यास 10 फीट है और इसकी ऊँचाई लगभग 237 फीट है। इस मीनार में लगभग 379 सीढ़ियां है।विश्व धरोहर में शामिल कुतुबमीनार के निर्माण में लाल बलुआ पत्थरों का सर्वाधिक उपयोग किया गया है यह ईटों से बनी विश्व की सर्वाधिक ऊँची मीनार है।
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